bye bye shayari in hindi | बाय बाय शायरी
ख़ुश्बू बन कर मेरी सांसों में बहना,
लहू बन कर मेरी नस-नस में बहना,
दोस्ती होती है रिश्तों का अनमोल गहना
इसलिए दोस्त को कभी अलविदा मत कहना।
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दुखो को कह दो अलविदा,
खुशियों का तुम कर लो साथ,
चाँद की यह चाँदनी और तारों की बारात,
लेकर मीठे सपने संग आ गयी है यह रात.
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Apni wafa ka itna daawa na kar ae dost
Maine rooh ko, jism se bewafai karte dekha hai
अपनी वफ़ा का इतना दावा ना कर ऐ दोस्त
माने रूह को जिस्म से बेवफ़ाई करते देखा है
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तू बता तेरे इन खतों का अब मैं क्या करूँ,
इन्हें सीने से लगा लू या अलविदा करूँ,
मैं सौ खत लिखे और लिखे के फाड़ डाले
दबा लू दर्द या अब सब को मैं बयाँ करूँ।
– सिद्धार्थ त्रिपाठी
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Bana ke rakh lo qaidi mujhe apni chahat mein
Bichadh kar aap se mujhe jeena nahi aata
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Dil se khayal-e-dost bhulaya na jaye ga
Seene mein dagh hai ke mitaya na jaye ga
दिल से ख़याल-ए-दोस्त ना जाएगा
सीने में दाग़ हैं के मिटाया ना जाएगा
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लगे है इल्जाम दिल पे जो मुझको रूलाते है,
किसी की बेरूखी और किसी और को सताते है,
दिल तोड़ के मेरा वो आसानी से कह गए अलविदा
लेकिन मेरे हालात मुझे बेवफा ठहराते है.
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वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसला फूल का हियाँ, फूल किधर जाएगा
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Ajab dastoor hai mehfilon se alvida kehne ka
Wo bhi khuda-hafiz kehte hain jinke thikaane nahin hote
अजब दस्तूर है महफ़िलों से अलविदा कहने का
वो भी खुदा हाफ़िज़ कहते हैं जिनके ठिकाने नहीं होते
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अपनी जिंदगी का खुल कर मजा लीजिये,
दिल दुखाने वालों को अलविदा कीजिये।
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बड़ी अजीब सी है उनकी अदा,
एक पल सलाम, दूसरे में अलविदा।
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आधे से कुछ ज्यादा है – पूरे से कुछ कम,
कुछ जिंदगी, कुछ गम, कुछ इश्क़, कुछ हम.
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कह दिया अलविदा इस जमाने को,
अब जिंदगी में कुछ ना बचा पाने को.
अब जिंदगी में कुछ ना बचा पाने को.