Berojgari shayari in hindi अब ज़मीनों को बिछाए कि फ़लक को ओढ़े मुफलिसी तो भरी बरसात में बे-घर हुई है - सलीम सिद्दीक़ी _______________________________
बहुत मैंने ढूँढा नही दिखाई दिया अपना विकास, देखा बेरोजगार खेल रहे है स्मार्ट फ़ोन पर ताश. _______________________________
सबके सिर पर उधारी रहेगी, जनता पर ही जिम्मेदारी रहेगी, सारे रोजगार निजी हो जायेंगे, बस सरकार ही सरकारी रहेगी _______________________________
माता पिता भी अब बच्चों को पढ़ाने से डरने लगे, कही उनका बच्चा भी बेरोजगार न …
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