मोहब्बत शायरी:
मैं उसके ज़िक्र में भी नहीं अब,
और वो मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ याद है..!!
जो बात दिल में है बतलाऊं कैसे?
जो हाल-ए-दिल है, समझाऊं कैसे?
दिल की बात सुनाती है ये आंखें
इन में तुम बसे हो, दिखलाऊं कैसे?
साथ तेरे जिंदगी गुजारनी है मुझे
बात ये तेरे लबों से, बुलवाऊं कैसे?
इतना आसां नही साथ चल दे दोनों
दुनिया का ये रिवाज,उल्टाए कैसे?
हम डूबे बैठे हैं जिसमें वो उसे लग जाए,
ये मोहब्बत का नशा उसे भी लग जाए,
यूं मशरूफ हैं निगाहें मेरी उसके दीदार में,
डरता हूं कन्ही उसे मेरी ही नज़र ना लग जाए,
मै…
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