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rahat indori shayari in hindi | राहत इंदौरी शायरी

 rahat indori shayari in hindi | राहत इंदौरी शायरी

Rahat Indori Shayari Poetry:

हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा है

आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है 

मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया 

मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रक्खा है।

-राहत इंदौरी

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राहत इंदौरी शायरी हिंदी २ लाइन

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

-राहत इंदौरी

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राहत इंदौरी शायरी हिंदी मौत

शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया 

कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया 


दरवाज़ों ने अपनी आँखें नम कर लीं 

दीवारों ने अपना सीना तान लिया 


प्यास तो अपनी सात समुंदर जैसी थी 

नाहक़ हम ने बारिश का एहसान लिया 


मैं ने तलवों से बाँधी थी छाँव मगर 

शायद मुझ को सूरज ने पहचान लिया 


कितने सुख से धरती ओढ़ के सोए हैं 

हम ने अपनी माँ का कहना मान लिया

-राहत इंदौरी

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राहत इंदौरी की ग़ज़ल

कभी अकेले में मिलकर झंझोड़ दूंगा उसे

जहां-जहां से टूटा है जोड़ दूंगा उसे


मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उसका

इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूंगा उसे


पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज

कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे

-राहत इंदौरी

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राहत इंदौरी शायरी हिंदी 4 लाइन

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 

घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है 

-राहत इंदौरी

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घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है 

अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है 

- राहत इंदौरी

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Rahat Indori Shayari In Hindi Love

घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है 

अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है 

- राहत इंदौरी

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राहत इंदौरी शायरी हिंदी 1 लाइन

सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए 

ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए 

राहत इंदौरी

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Rahat Indori Ki Shayari

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,

मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।

~ राहत इन्दौरी

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Rahat Indori Shayari In Urdu

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन

दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

~राहत इंदौरी

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Rahat Indori Shayari In Hindi

शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम 

आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे 

- राहत इंदौरी

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Rahat Indori Shayari

काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने

तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने


तेरी दस्तार पे तन्कीद की हिम्मत तो नहीं

अपनी पापोश को कालीन कहा है मैंने


मस्लेहत कहिये इसे या के सियासत कहिये

चील-कौओं को भी शाहीन कहा है मैंने


ज़ायके बारहा आँखों में मज़ा देते हैं

बाज़ चेहरों को भी नमकीन कहा है मैंने


तूने फ़न की नहीं शिजरे की हिमायत की है

तेरे ऐजाज़ को तौहीन कहा है मैंने

-राहत इंदौरी

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Rahat Indori 2 Line Shayari

देख लेते अगर ज़मीन का हाल, आसमां टूट कर बिखर जाते..

चल दिये कैसे अच्छे अच्छे लोग,ज़िंदा होते तो हम भी मर जाते..

~डॉ. राहत इंदौरी 

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झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें,

आप बस अपनी तक़रीर जारी रखें

इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के,

जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें

बात मन की कहें या वतन की कहें

झूठ बोलें तो आवाज़ भारी रखें

– राहत इन्दोरी

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Rahat Indori Shayari In Hindi For Life

सफ़र में जब भी इरादे जवान मिलते हैं,

खुली हवाएँ, खुले बादबान मिलते हैं।

बहुत कठिन है मसाफ़त नई ज़मीनों की,

क़दम-क़दम पे नये आसमान मिलते हैं..!

~राहत इंदौरी

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सफ़र में आखिरी पत्थर के बाद आएगा

मजा तो यार दिसंबर के बाद आएगा

~ डॉ राहत इंदौरी

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सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे

चले चलो की जहाँ तक ये आसमान  रहे.

ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल

मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे.

~ राहत इंदौरी

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