हिंदी शायरी लिखा हुआ | hindi shayari likha hua
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी...!
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी...!!
सहाब बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने...!
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी...!!
______________________________________________
कैसे यकीन करें हम तेरी मोहब्बत का...!!
जब बिकती है बेवफाई तेरे ही नाम से...!!
______________________________________________
तस्वीर में भी बदले हुए हैं उनके तेवर...!!
आँखों में मुरब्बत का कहीं नाम नहीं है...!!
______________________________________________
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से...!!
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी...!!
______________________________________________
वो कब का भूल चुका होगा हमारी वफ़ा का किस्सा...!!
बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!
______________________________________________
इश्क़ ने जब माँगा खुदा से दर्द का हिसाब...!!
वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!
______________________________________________
किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो...!
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!
______________________________________________
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा...!!
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!
______________________________________________
मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं सहाब...!
शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!
______________________________________________
दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए...!
तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!
बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!
______________________________________________
आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला…!!
जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!
______________________________________________
लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद…!!
जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!
______________________________________________
मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था…!!
दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!
______________________________________________
ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर दे…!!
या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!
______________________________________________
बहुत सोचकर सहाब बाजार गए थे अपने कुछ आँसु बेचने…!!
हर खरीददार बोला अपनों के दिये तोहफे बेचा नहीं करते…!!
______________________________________________
मैं भी सनम बनाता सहाब किसी को तराश कर…!!
मुझको मेरे मिजाज का कहीं पत्थर नहीं मिला…!!
______________________________________________
मोहब्बत करने वालों को वक्त कहाँ जो गम लिखेंगे…!!
ऐ-दोस्तों कलम इधर लाओ…!
इन बेवफाओं के बारे में हम लिखेंगे…!!
______________________________________________
पगली तू तो एक ही कसम से डर गई…!!
हमें तो तेरी कसम दे कर हर किसी ने लूटा…!!
______________________________________________
इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गई…!!
ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो…!
आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नहीं…!!
______________________________________________
दुआ करते हैं हम सर झुका कर...!
आप अपनी मंजिल को पायें…!!
अगर आपकी राहों मे कभी अंधेरा आए…!
तो रोशनी के लिए खुदा हमको जलाए…!!
______________________________________________
हमारे मरने के बाद हम तुम्हें हर तारे में नजर आया करेंगे…!!
मन करे तो तुम दुआ माँग लेना हम तुरंत टूट जाया करेंगे…!!