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Shayari on yaad in hindi | याद शायरी | सेड शायरी

Shayari on yaad in hindi | याद शायरी | सेड शायरी

Shayari on yaad in hindi | याद शायरी | सेड शायरी

कभी पढ़कर ख़ुशी होती होगी , कभी आंखें भर जाती होगी ,

मेरी शायरी में जब किसी को अपनी कहानी नज़र आती होगी ....!!!

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मैं ख़ाली हाँथ लौटा... ये तो दिख गया सबको...

जो दिल खाली लौटा... इसपर तो किसी नें कुछ सोचा ही नहीं...!!

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गिनी थी धड़कनें अपनीं... जब इसबार गले लगे थे वो...

यक़ीन मानिए.... हर क़तरा-ए-ख़ून की ताक़त निचोड़... चल रहे थे जैसे...!!

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याद शायरी

ये शौख है, नशा है या इश्क़....मालूम नहीं हमें....

बस हम तड़पते रहते हैं... उनके एक दीदार के लिए

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मैनें कोशिश की थी... तेरी तस्वीर फेंक देनें की...

मेरा ज़हन ही मुझसे... बग़ावत पर उतर आया...!!

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इसमें कोई ख़राबी नहीं की... ख़ामोश रहते हैं वो...

हम वाक़ई समझते हैं... न समझे जानें की तकलीफ़ यारों...!!

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ये फ़ासला इतना... नहीं होता शायद...

शायद... हमारे गिर जानें कि एक हद रही होगी...!!

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हर ओर लोग बैठे है मायूस शकल के...

ऐसा तो नहीं उनके शहर में... एक वो ही क़ातिल हैं...

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याद शायरी

खयालों में याद करनें तक तो बात ठीक है मोहतरमा...

अगर एक क़तरा भी आँसू बहाया गया.... हमें नाराज़ होनें की एक बड़ी वज़ह दे देंगी आप...

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वज़ह जानकर क्या करोगे हमारी उदासी का...

तुम अपनीं दुनियाँ में ख़ुश हो... दुआ है कि ख़ुश रहो

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देखो ऐसा है... की वो शहर में हैं... तो सुधरे हैं हम...

क़ायदे में रह लो... या.. हमारा इतिहास पूछ लो औरों से...

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Yaad shayari

Shayari on yaad in hindi | याद शायरी | सेड शायरी

सुनो... इस बार आना...  तो एक प्लास्टिक का दिल लेते आना...

हर बार... हम तुम्हें यूँ ही... अपनें दिल से खेलनें नहीं देंगे...!!

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शायद वो उनकी साज़िश रही हो... कुछ औऱ करनें की...

पर तुम्हारा नाम जब उन्होंनें मेरे नाम के साथ टेबल पर लिखा... मुझे सच में अच्छा लगा

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गुजर जाएगा ये भी वक़्त जब हम बेहिसाब तड़पते हैं आपके लिए...

दुनियाँ में सुना है... कुछ भी ... हमेशा नहीं रहता...

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मेरे बस का नहीं... दुबारा इश्क़ कर पाना...

अपनें हर एक ज़ख़्म... मर मर के सिले हैं मैंने...

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वो लौट आएगा... ऐसा ज़रूरी भी नहीं...

किसी ग़ैर के लिए... मैं खुद को कब तक बर्बाद रखूँ मौला

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ठहर के मौसम भी उन्हें निहारता ही रहा आज... 

सुबह वो घर से निकले तो कोहरा था.... शाम लौटे ... फ़िर भी कोई बदलाव नहीं था...

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जिस ओर से गुज़रो तुम... उधर हलचल बढ़ जाती है...

सुना है... इस शहर में तुम्हारे आशिक़ों की तादात बहुत है...

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सख़्त होना ... इतना भी आसान नहीं है...

पर... आत्मसम्मान से समझौता... इससे भी ज़्यादा मुश्किल है....

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आज शाम हमारे ज़हन नें फ़िर से... तमाशा शुरू किया...

मजबूरन...  मयख़ाने की ओर लौटना पड़ा हमें...

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लगता है...इस ख़ाब को ख़ाब ही रखेगा ख़ुदा... 

उनका औऱ हमारा मिलना... मुक़द्दर में नहीं शायद

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जिस दिन भी हाल पूछ लेते हैं वो...

उस दिन उनके ख़यालों की बेहोशी सी लगी रहती है दिन भर

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मैं क़ाबिल तो नहीं लिए... शायद...

ये बात औऱ है कि... उन्होनें अपना दिल हमें सौप दिया है...

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मैनें हर मोड़ पर खुदा से सबका भला माँगा...

मैं अकेला रह गया... वो ख़ुदा बन गए...

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बिना माँगे तो सुना है... मौत नहीं मिलती...

हमें तो बिन मांगे... जिंदा-दिली मिल गयी...

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पलट दिए उन पन्नों को फिर से... हमनें....

जिन पन्नों पर हमारा औऱ उसका नाम... एक साथ लिखा था...

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किस दुःख में हैं हम... हमें मालूम नहीं है...

पर आज... जी हो रहा है... खूब रोनें का...

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वसीयत दिल की... आज कर के आ गए हैं...

उसनें अपनीं ज़िद पर... हमें भी लिखवा लिया हमसे...

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उनके दस्तखत ले लिया हैं हमनें... अपनें ख़ाबों में...

कहीं वो भूल गए... याद दिलानें को सुबूत तो चहिए ही होगा...

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इस कड़कती सर्द में... दीवारों की दरारों भी रहम नहीं करतीं...

गरीबों पर जुल्म... सिर्फ़ जिंदा लोग ही नहीं किया करते

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मैं सम्भल जाता अगर...  तो क्या बात रह जाती...

कम से कम अब वो ये तो कह ही सकते हैं... की किसी नें बर्बाद कर लिया ख़ुद को हमारी ख़ातिर...

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हुश्न वालों से न पूछिए इश्क़ का मतलब...

उन्हें ख़ाबों तक में इश्क़... हुश्नवालों से ही होता है...

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बात सिर्फ़ उस एक की नहीं है... साहब...

हमनें देखा है हर बार... कोई अपना ही होता है ज़हर देंने वाला....

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मोहब्बत में आप क्या चाहते हैं... क्या कर जाएँ...

कहीं ऐसा तो नहीं... हम कुछ इस तरह के आशिक़ हों... की तड़प के मर जाएँ...

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मैं ज्यों ही किताबें बन्द करता हूँ... इन कहानियों की... 

पूरी दुनियाँ सो चुकी होती है... ऐसा लगता है...

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वो अकेले जिया औऱ अकेले ही मर गया...

और ... लोग आसान समझते हैं... एकतरफा मोहब्बत को...

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मैं ख़त लिख देता ज़रुर... अपनें ख़ाबों को...

अफ़सोफ... मुझे ख़त आशिक़ी का लिखना नहीं आता...

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सुनो ... तुम मान क्यों नहीं जाते... मेरी ये दरख़्वास्त...

हर बार... मेरा तुमको मनाना ज़रूरी है क्या...?

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अब इस बात में क्या रक्खा है कि.. किसका है... 

मैनें तो उसे खुदा मान लिया है लेकिन... सिर्फ़ औऱ सिर्फ़ मेरा...

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वो आईना हमें ही टूट कर चुभ गया आज...

जिसमें...  किसी के साथ अपनीं जोड़ी देखता था कभी मैं...

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मैं बेचैन रहा इस ख़याल से की उनकी तबीयत ख़राब है...

वो बेचैन रहे ये सोचकर कि... हम परेशान होंगे...

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शौख ऱखते हैं वो भी शेर-ओ-शायरी का... ये इतेफाक़ नहीं है...

हम उनके इश्क़ में लिखा करते हैं... वो किसी औऱ की तड़प में

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ये मुफ़्त हुनर है...तो मुस्कुराया किजिए...

बहुत जल रहे होंगे... ज़रा औऱ... जलाया कीजिए...

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रौशनी चली गयी है गुस्सा होकर...बिना बताए ही... 

हमारे कमरे में आज... अंधेरे का बोल बाला है...

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मेरे हिस्से में हर बार... वही कहानीं क्यों आती है...

दिलों के टूट जानें तक तो ठीक था... ख़ाब टूट जाना... तड़पा देता है...

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ज़रूरी नहीं है इंसान से ही इश्क़ किया जाए...हरदम... 

हमें देखिए... हम उनकी याद को... याद करते तो है बेशक़... पर उनके लौट आने की ख़ाहिश नहीं रखते अब...

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समझना बहुत कुछ था अभी...लेकिन...

इंसान की फ़ितरत ही.... अब तक... समझ नहीं पाया...

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ऐसा नही की घाव .... कमज़ोर दिया था उसनें...

वो तो मेरी आदत थी... मैं सह गया... कोई औऱ होता... तो मर ही गया होता...

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मेरी बेचैन आँखें ... समझतीं नहीं कुछ भी...

मैं बता चुका हूँ कि अब वो हमारे रहे नहीं... जिसका दीदार-ए-नशा करना है उन्हें...

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चलो लौट आओ... नाराज़ कब तक रहोगी... 

ऐ मौत...  तू माशूक़ थोड़ी है ... जो... तेरे इंतज़ार में यूँ तड़प के जीना पड़ रहा है...

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Khuda Ki Qudrat Hai Aaj Aisa Fasaana Dekha....!!

Aasmaan Mai Ude Panchhi Aur Gharo Mai Qaiyd Zamaana Dekha....🖤

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Udasiyon ki wajah toh bohot sari hai...❤️

Par bewajah khush rahne Ka maza hi Kuch aur hai....❤️

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TooFaan Se Nahi Hame ShikWa Hai SaahiL Se...!!

Kya Guzar Rahi Hai Kabhi Poochna Mere DiL Se...!!

Har Ek Ne Sunaa Di Apne Gham Ki Dastaan..!!

Ek Main Hi Khamosh LauT Aaya Teri MehFiL Se.....🖤

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Jise Khud Se Hi Nahin Fursatein,

Jise Khayal Apne Kamaal Ka...

Usey Kya Khabar Mere Shauq Ki,

Usey Kya Pata Mere Haal Ka....!!

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मैं सज़दे में तुम्हें मांग तो लेता...मग़र नहीं माँगा...

कोई ऐसी चीज़ जो बर्बाद करदे ख़ुद को... ऐसा भी भला होता है कहीं...

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आसान नहीं है मोहब्बत निभा लेना...

जब यादों का सैलाब उठता है ... कलेजा काँप जाता है...

बहोत आसान समझ लिया है... लोगों नें मोहब्बत को

जब तड़पना होता है... तब समझ आता है...

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वो लुटेरा खुलेआम घूमता है शहर में...

मैनें बस उसकी आँखों में देखा... औऱ होश गंवाए बैठा हूँ..

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उनके काजल का चोट इतना गहरा हुआ... क्या कहें...

पलकें ज्यों ही झुकाई उन्होनें... वहीं बेहोश होते होते बचे हम

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बहोत सताए हुए तो नहीं है... 

पर बहोत सलीक़े से लोगों नें हमें तोड़ना ज़रूर चाहा था...

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मेरे शहर में आलम कुछ यूँ है आज...

हर मोड़ पर... तिरंगा नज़र आ रहा है...

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बहुत चुभता है ...अपनीं बात ग़ैरों को बता देना...

मग़र... गज़ब का सुकून मिलता है जब... लोग वाह वाह कहते हैं...



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