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मैं इश्क़ हूँ....बस हो जाता हूं
किसी से इश्क़ हुआ है यक़ीं नहीं होता,
ये जुर्म मैंने किया है यक़ीं नहीं होता
आँख खोली तो दूरियाँ थीं बहुत,
आँख मीची तो फ़ासला न रहा।
रात सारी तड़पते रहेंगे हम.....
आज फिर ख़त तेरे पढ़ लीए शाम को ।।
वो भी जिन्दा है ,मैं भी जिन्दा हूँ ,
क़त्ल सिर्फ इश्क़ का हुआ है......!!
ना जाने,,,,
कितनी अनकही बातें,,,,
साथ ले जाएंगे,,,,
झूठ ही कहते हैं लोग,,,,
ख़ाली हाथ आए थे,,,,
ख़ाली हाथ जाएंगे...!!
मैं बस तुममें उलझे रहना चाहता हूं,,,,
तुम मेरा एक ख़ूबसूरत मसला हो...!!
हमने तो कुछ शेर कहे बस मोहब्बत में..!
पैसे वाले तो ,ताजमहल बनवाते हैं...!
सुकून जिंदगी का अब पाना चाहती हूं,
तेरे आगोश में खो जाना चाहती_हूं।।
भूल जाना चाहती हूं सब दुनिया को,
शर्म हया का हर बंधन तोड़ जाना चाहती हूं।।
इश्क़ की रस्में कसमें वादे और जुनून,
तुम को पा कर तुम्हारी हो जाना चाहती हूं।।❣️
हर दफा तुम्हारी बातों में आ जाऊं,
अब ये तो किसी किताब में नहीं लिखा..
बर्दाश्त नहीं तुम्हें किसी और के साथ देखना..
बात शक की नहीं....हक की है...!!
सिर्फ एक ही तमन्ना रखते हैं हम अपने दिल में ,
मोहब्बत से याद करो चाहे मुद्दतों बाद करो!!
मेनें तुझे हर शहर में ढूंढ़ा,
अब तु मुझे मेरी शायरी में ढूढ़ लेना...!!!
मैं प्यार का साज दे रहा हूं तुम्हें,
दिल का राज दे रहा हूं तुम्हें..
ये शायरी,गजल सब बहाने हैं
मैं तो सिर्फ आवाज़ दे रहा हूं तुम्हें।
धमकियां देते है, वो भी जुदाई की....
उफ़ मोहब्बत की ये बदमाशियां..!!😊
मेरी हद भी तू है,
मुझमें बेहद भी तू है।।।
खुद को देखूँ तो इक दीवाना देखूँ
दिल में इश्क़ का इक बहाना देखूँ!
दीदार कशमकश में डालता है मुझे
कि तुम्हें देखूँ, या फिर ज़माना देखू!
भरी कायनात मे हमने
कितने ही मुखोटो को देखा है...
चाय फीकी लगती है
जबसे तेरे होठों को देखा है....
बूँद - बूँद करके मुझसे मिलना तेरा,
फिर भी मुझमें मुझसे ज्यादा होना तेरा।
तड़पना भी अच्छा लगता है,
जब इंतज़ार किसी अजीज का हो।।
अल्फाज भले ही मेरे कहीं न पहुंचे,
मगर लिखने की चाहत मेरा इश्क हैं
वो मोहब्बत हमसे
कुछ इस तरह से करते है
बात नहीं करते हमसे
मगर मेरी शायरी का इंतजार करते है....
कितनी मुहब्बत थी उसके लफ़्ज़ों से,
हर लफ़्ज़ में मेरा चेहरा दिखता रहा
ख्वाहिश नहीं... कि टूट कर चाहो तुम मुझे...
ख्वाहिश बस इतनी... कि टूटने न देना मुझे....
मत पूछ उलझन
क्या है उम्र की...
जैसे जैसे बढ़ी
इश्क जवा ही हुआ....
याद तो बहोत आती हो तुम
इसलिये ये दिल हर रोज धड़कता है।
कथा कहानी किस्से ठीक है..
गजल तो बस अदब की है..
तुम पसंद भी बेइंतहा हो ...
तुमसे नफरत भी गजब की है!!
उन्हें भरम है कि मुंह फेर लेने से भूल जायेंगे हमें,
कौन समझाये उन्हें कि आंख मूंदने से रात नहीं होती...
हर रोज किसी नए से मिलता हूं मैं,
मगर आज भी तुम पुराने नहीं होते!
"ख़ुशी से दिल को आबाद करना;
ग़म को दिल से आज़ाद करना;
बस इतनी गुज़ारिश है आपसे कि;
हो सके तो कभी हमें भी याद जरुर करना।
तुम्हे अपनी नाकामयाबियों पर बहुत नाज़ है,
तुमने अभी मेरी नाकामयाबी देखी कहा है।
ना रूठने का डर ना मनाने की कोशिश,
दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी !
ये जिस्मानी मोहब्बत
चार दिन की होती है
मुर्शद😊😊
कोई बताए उन्हें की हमे उनसे
मोहब्बत रूहानी करनी है❣️
वफादार और तुम....? ख्याल अच्छा है,
बेवफा और हम.....? इल्जाम भी अच्छा है..!!
अजीब कशमकश से घिरा हुआ हूं में
सही गलत के फासले में अटका हुआ हूं में
वेसे दिखावटी तो बहुत खुश रहता हूं
पर अंदर से टूटा हुआ हूं में
प्यार की वारदात होने दो,
कुछ तो ऐसे हालात होने दो,
लफ्ज़ अगर बात नहीं कर सकते,
तो आँखों की आँखों में बात होने दो...
बुला के अपने पास सारे गम दुर कर दो,
में तुमसे जुदा न हो पाउ इतना मजबूर कर दो।
मैं कहाँ से लाऊं, बता कहा बिकता है,
वो नसीब जो तुझे उम्र भर के लिए मेरा कर दे....
शायर से तुम उसके राज न पूछो ,,
कल खुद ही लिख देगा
बस तुम आज न पूछो....
पुरानी होकर भी,
ख़ास होती जा रही है ,
मोहब्बत बेशर्म है जनाब,
बेहिसाब होती जा रही है...
रात भर करता रहा तेरी तारीफ चंद से,
चांद इतना जला की सुबह तक सूरज हो गया