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Heart touching breakup shayari in hindi

 Heart touching breakup shayari in hindi

ये शहर है अंजान कहाँ रात गुज़ारूँ,

है जान-न-पहचान कहाँ रात गुज़ारूँ।

दामन में लिए फिरता हूँ मैं दौलत-ए-ग़म को,

हर राह है सुनसान कहाँ रात गुज़ारूँ,

कुटिया तो अलग साया-ए-दीवार नहीं है,

मुश्किल में फंसी है जान कहाँ रात गुज़ारूँ।

इस राहगुज़र पर तो शजर भी नहीं कोई,

और सर पे है तूफ़ान कहाँ रात गुज़ारूँ।

बहरू पिए फिरते हैं हर इक राहगुज़र पर,

कोई नहीं इंसान कहाँ रात गुज़ारूँ।

दर है कोई और न दरीचा ही खुला है,

हर कूचा है वीरान कहाँ रात गुज़ारूँ.!!



बस दोंनो पहर मुँह दिखा दिया करना तू,

मैं तेरी गली में पड़ा रहूंगा शराबी बन के!!



बहुत करीब से अनजान बनकर गुजरा है वो,

जो कभी बहुत दूर से,

पहचान लिया करता था कभी।



माता रानी उनको भी खुश रखे,

जो एक दिन भी खुश नहीं देख सकते हमें..!!



बड़े घरों में रही है बहुत ज़माने तक,

ख़ुशी का जी नहीं लगता ग़रीब-ख़ाने में!!



जो प्रेम कर सके ,जो प्रेम समझ सके जो प्रेम पढ़ सके वह मनुष्य है,

बाकी के क्रियाकलाप तो पशु भी करते हैं.!!



मेरी मोहब्बत कि कहानी कुछ ऐसे देखी गई,

जैसे काटकर गाना,कोई फिल्म देखी गई।

उससे बिछड़ने पर, फिर इन आंखों में यारों,

बेमौसम के बेइंतहा, बरसात देखी गई।

भला कैसे छुपाता अपने गमों का राज मैं,

मेरे चहरे से पहले, मेरी आंखें देखी गई।

करते कोशिश,तो मैं बच भी जाता मगर,

मेरी नब्ज टटोलकर, थोड़ा देर से देखी गई।

जिंदा थे तो तरसते थे, मिलने के लिए यारों,

बाद मरने के हर रोज हमारी, तस्वीर देखी गई!!



ख़ून-ए-अरमा से लिखी अपनी कहानी मैंने,

ज़िंदगी तुझसे कभी शिकश्त न मानी मैंने

ख़्वाब कहते है किसे ये कोई मुझसे पूछे,

ख़्वाबज़ारों में गुज़ारी है जवानी मैंने।

जिसने तूफ़ाँ था उठाया भारी मेरे घर में,

अपने कमरे से वो निशानी हटा दी मैंने।

इक अमीरजादे ने कैसे तुझे छिना है मुझसे

ये कहानी भी सुनी तेरी ज़बानी मैंने.!!



मोहब्बत की हर बात पे आँसू बहा क्यों

तेरा ज़िक्र तेरा चर्चा हर वक़्त रहा क्यों?

उम्मीद यूँ तो मुझको कुछ ज़्यादा ना थी

जब तूने सुनना नहीं था मैंने कहा क्यों?

तूने तो मेरी बाबत सोचा ना होगा कभी

आख़िर तेरा ही इंतज़ार मुझे रहा क्यों?

दिल पर माना किसी का इख़्तियार नहीं

ग़म देना तेरी आदत सही मैंने सहा क्यों?

आज नहीं तो कल शायद तू मिल जाये 

यह रौशन ख़्याल मेरे दिल में रहा क्यों?



प्रेम,मित्रता विश्वास की वो श्रंखला हैं,

जिसपर साधारण लोग नहीं चढ़ सकते!!



खोना पड़ता है बजूद दरिया को समंदर बनने के लिए,

सारी दुनिया से लड़ना पड़ता है सिकन्दर बनने के लिए!!



अदावत भी तुम हो ,इनायत भी तुम हो

तड़पती हुई दिल की चाहत भी तुम हो,

सनम ख्वाब तेरे सजाते हैं हम

ठहरी हुई दिल की हसरत भी तुम हो,

कहीं आज सज़दा जो करने लगे हम

दुआ हो मेरी तुम, इबादत भी तुम हो।



बुलाती है मगर जाने का नहीं 

बुलाती है मगर जाने का नहीं 

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर

मगर हद से गुज़र जाने का नहीं



मैं हमदर्दी की ख़ैरातों के सिक्के मोड़ देता हूँ 

जिस पर बोझ बन जायूँ, उसे मैं खुद ही छोड़ देता हूँ।



या तो सरयू का नीर झूँठा हैं या तो तुम्हारा ज़मीर झूँठा हैं !

या तो वो पीर झूँठा हैं या तो  सांसों में बहता समीर झूँठा हैं।

क्यों हर साल दहन के बावजूद  जिंदा हो उठता हैं दशानन?

या तो तुम्हारा तीर झूँठा हैं या तो रावण का शरीर झूँठा हैं!!



जो हैरान  है मेरे सब्र पर उनसे कह दो,

जो आंसू जमीन पर नहीं गिरते दिल चीर जाते है!!



मुझसे बिछड़कर वो लड़की कितना खुश रहती हैं,

मुझसे बिछड़कर उस लड़की ने मरने की ठानी थी!!



मैं किनारों को रुलाने लगा हूँ,

फूल दरिया में बहाने लगा हूँ।

खेल को ख़त्म करो जल्दी से,

वर्ना मैं पर्दा गिराने लगा हूँ।

दुनिया से जाऊँ तो बताना मुझ,

को तेरे दिल से तो जाने लगा हूँ।

यूँ लगी मुझ को मोहब्बत तेरी,

जैसे मैं बोझ उठाने लगा हूँ।

पहले तूने मेरा उड़ाया था मज़ाक़,

और अब मैं ख़ाक उड़ाने लगा हूँ।

कितनी आसानी से मारा गया था,

कितनी मुश्किल से ठिकाने लगा हूँ।

शुक्र है इश्क़ के सौदे में भी,

अश्क दो-चार कमाने लगा हूँ।

वक़्त हूँ और बड़ी मुद्दत से मैं,

 तेरे साथ ज़माने लगा हूँ।

ऐसे ख़ामोश हुआ हूँ आज,

जैसे मैं बात बढ़ाने लगा हूँ!!



झुक जाते है जो लोग, आपकी खातिर किसी भी हद तक वो सिर्फ आपकी ही नही करते, बल्कि अपनी आत्मा से आपसे प्रेम करते है



मैं चाहता  हूं जब भी मैं आखिरी सांस लू,

वो मुझे अपनी आवाज़ में गरुण पुराण सुनाने आए!!



दिवाली सिर पर है,

और मेरे पास एक भी पटाखा और फुलझड़ी नहीं है!!



कुछ तकदीर हार गई....कुछ सपने टूट गए,

कुछ गैरों ने बर्बाद किया.. कुछ अपने रूठ गए।



दो राहें 

एक तुम तक जाती हैं 

एक तुमसे लौट कर आती है।

दो हसरतें ,

एक तुम्हारे पास रहने की, 

एक तुमको पास रखने की ।

दो उम्मीदें ,

एक तुम्हारे साथ चलते की,

एक तुम्हारे चलने के साथ की।

दो चाहतें ,

मेरी ख़ुशियाँ हों तुम तक,

ख़ुशियाँ मेरी हों तुमसे ही।

दो शख़्स,

एक मैं एक तुम,

तुम में रहूँ मैं, 

और मुझ में हो तुम ही।



बहुत कुछ है पर मैं बताने से डरता हूँ,

मैं गुज़रे हुए उस ज़माने से डरता हूँ।

बहोत कुछ है जो जलता है अब,

आग जो लगी दिखाने से डरता हूँ।

निकल जायेगा मेरा दम इक रोज़,

क्या है वजह ये बताने से डरता हूँ।

जीने से पहले हैं ये मरने की आरज़ू,

क्यूँ है आख़िर समझाने से डरता हूँ।

दोज़ख़ में बीते लम्हों की सौग़ात,

कतरों से हैं सब दिखाने से डरता हूँ।

यूं न पूछा करो  मेरे होने का सबब,

बेबुनियाद क़िस्सा सुनाने से डरता हूँ।


बहुत कुछ हैं पर मैं बताने से डरता हूँ,

मैं गुज़रे हुए उस ज़माने से डरता हूँ.!!




तेरी फ़ुर्सत के इन्तेजार में रहता हूं, 

मैं परदेश में रह कर भी प्यार में रहता हूं,

बस एक तेरी मर्ज़ी से ही बदलेंगी क़िस्मत मेरी,

वर्ना जीत कर भी मैं हार में रहता हूं...!!



बना के छोड़ देते हैं अपने वजूद का आदि, 

कुछ लोग इस तरह भी मोहब्बत का सिला देते हैं।



बिच से टूट गया जिस्म तमाम खराशें निकली,

हमने जब खुद को तलाशा कई लाशें निकली.!!



परिणाम हमेशा

आपकी सोच के अनुरूप नहीं होता,

वह तो सिर्फ..

आपकी मेहनत के अनुरूप होता है।



आज बादलों का बहाना बनाकर,

चांद छतों पर उतरा है खीर खाने!!

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