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muharram shayari in hindi 2022-2023 | मुहर्रम शायरी

 muharram shayari in hindi 2022-2023 | मुहर्रम शायरी

“मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी,

जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,

ना डिगा वो हौसलों से अपने,

काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.”

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Muharram Status in Hindi

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, 

सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने, 

नेजे पे सिर था और जुबान पे आयतें, 

कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने ।

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“दश ए बाला को अर्श का जीना बना दिया

दश ए बाला को अर्श का जीना बना दिया

जंगल को मोहम्मद का मदीना बना दिया

हर जर्रे को नजफ़ का नगीना बना दिया

हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया”

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Wiladat Imam Hussain shayari

“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,

कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,

सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,

महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”

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हुसैन शायरी इन हिंदी

क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का, 

अब तक ज़मीन पे कर्ज़ है सजदा हुसैन का, 

झोली फैला कर मांग ली मोमिनी, 

हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का.

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Imam Hussain wiladat Shayari

“एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन,

आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का..

फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,

होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का..”

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करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, 

ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, 

लहू जी बह गया कर्बला में, 

उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने.

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कर्बला की शायरी हिंदी मै

“दिन रोता है रात रोती है,

दिन रोता है रात रोती है..

हर मोमिन की जात रोती है,

जब भी आता है मुहर्रम का महिना,

खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,

सारी कायनात रोती है…”

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पानी की तलब हो तो 1 काम किआ कर,

कर्बला के नाम पे 1 जाम पिया कर !!

की मुजको हुसैन इब्न-इ-अली ने यह नसीहत,

ज़ालिम हो मुक़ाबिल तो माय नाम लिया कर !!


Pani Ki Talab Ho To 1 Kaam Kia Kar,

Karbala K Name Pe 1 Jam Piya Kar,

Ki Mujko Hussain Ibn-e-ali Ne Yeh Naseehat,

Zalim Ho Muqabil To My Naam Liya Kar

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इमाम हुसैन की ग़ज़ल

जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो,

दोस्तों क़ायम रहो हुसैन के इंकार की तरह !!


Jab Bhi Kabhi Zameer Ka Sauda Ho,

Doston Qayam Raho Hussain Ke Inkar Ki Terha

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फिर आज हक़ के लिए जान फ़िदा करे कोई,

वफ़ा इवन झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,

नमाज़ 1400 सालों से इन्तिज़ार मैं है,

हुसैन की तरह मुझ को ऐडा करे कोई !!


Phir Aaj Haq Ke Liye Jaan Fida Kare Koi,

Wafa Even Jhoom Uthe Yun Wafa Kare Koi,

Namaz 1400 Saalon Se Intizar Main Hai,

Hussain Ki Terha Mujh Ko Ada Kare Koi

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मोहर्रम की मुबारकबाद

यूँ ही नहीं जहाँ मैं चर्चा हुसैन का,

कुछ देख के हुआ था, ज़माना हुसैन का,

सर दे के दो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,

महंगा परा यज़ीद को सौदा हुसैन का.


Yun Hi Nahi Jahan Main Charcha Hussain Ka,

Kuch Dekh K Hua Tha, Zamana Hussain Ka,

Sar De k Do Jahan Ki Hukumat Khareed Li,

Mehanga Para Yazeed Ko Sauda Hussain

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सैलाब देखता हूँ तो होता है ये गुमान,

पानी फिरता है तलाश-इ-हुसैन मैं !!


Selaab Dekhta Hoon Tou Hota Hai Ye Gumaan,

Paani Phirta Hai Talash-E-Hussain Main

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सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई,

सबर से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गई,

एक छम्मन फातिमा का उजड़ा,

मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गई.


Sajday se karbala Ko Bandagi Mil Gai,

Sabar Se Ummat Ko Zindagi Mil Gai,

Ek Chamman Fatima Ka Ujra,

Magar Sarey Islam Ko Zindagi Mil Gai.

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 muharram shayari in hindi 4 line

सर गैर क आगे न झुकने वाला,

और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला

इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,

इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.


Sar Gair K Aage Na Jukane Wala,

Aur Nezey Pey Bhi Quraan Sunaney Wala,

Islam Se Kya Poochte Ho Kon Hussain,

Islam Ko Islam Banane Wala

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“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,

कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,

सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,

महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”

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“कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का,

खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का…

मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में,

क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”

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“करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,

उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,

यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन

हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”


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