प्यार मोहब्बत भरी शायरी-Pyaar Mohabbat Bhari shayari
जिंदगी में कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
जिंदगी में कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
जो है पास आपके उसको सम्भाल कर रखना,
क्योंकि एक बार खोकर प्यार दोबारा नही मिलता।
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सब ने चाहा कि तुम्हे हम ना मिलें हम ने चाहा तुम्हें ग़म ना मिलें अगर ख़ुशी मिलती है तुम्हे हम से जुदा होकर तो दुआ है ख़ुदा से कि तुम्हें कभी हम ना मिलें.
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बाँधकर ज़ुबान मेरी कह रहा था वो ज़ालिम...
अब तुम्हे इजाज़त है हाल-ए-दिल सुनाने की.,,
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पढ़ तो लिया है इनको मगर कैसे फैंक दू खुशबू तुम्हारे हाथ की इन कागजों में आज भी है
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तेरी खुशबू तेरी चाहत से दिल यूँ महरूम रहा,
बनारस रहकर भी कोई जैसे गंगा से दूर रहा.
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सादगी मशहूर है हमारी,
खुशमिजाजी भी कमाल है,
हम शरारती भी इंतेहा के है,
तनहा भी बेमिसाल है।
🙂
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मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको हमारा ये पैगाम हैं,
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“वादा-ए-वफ़ा करो तो
फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए
किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
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चांदनी रात में तनहा बैठे हो सफ़क कोई बात है क्या
नींद नही आ रही या तुम ख्वाबों से डरते हो क्या
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वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरतें लाया तो था,
मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया।
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इस क़दर मुन्तजिर हूँ तेरे इंतजार का
आपने तो एक लफ्ज भी न समझा मेरे प्यार का।
ऐ राज तेरी हरकतें तो आजकल ऐसी है
न तू मेरा होगा न होगा कभी अपने यार का ।।
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गुज़र गया वो वक़्त
जब तेरी हसरत थी मुझको,
अब तू खुदा भी बन जाए
तो भी तेरा सजदा ना करू।
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बदनसीबी देखो मुझे उसका दीदार नसीब ना हुआ
मंदिर, मस्जिद, दरगाह कहां कहां घूम लिया होगा
जब गुजरा उसकी गली से तो कांच के टुकड़े पड़े थे
शायद उसने देखकर खुद को आइना चूम लिया होगा।
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समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से,
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी।
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तराशे गये किसी वचन की तरह।
मोहब्बत करी हमने फ़न की तरह।।
मिट जाते थे गिले शिकवे मिलते ही-
वो थी गंगा के आचमन की तरह।।
थकन को क्या खूब सुकून देती थी-
सोफ़े पर रखे हुए कुशन की तरह।
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कुछ अनकहे लफ़्ज़ों को कुचलकर निकलती हैं,
ये दूरियां भी रोज कातिल बनकर निकलती हैं।