Looking For Anything Specific?

प्यार मोहब्बत भरी शायरी-Pyaar Mohabbat Bhari shayari

प्यार मोहब्बत भरी शायरी-Pyaar Mohabbat Bhari shayari

 प्यार मोहब्बत भरी शायरी-Pyaar Mohabbat Bhari shayari

जिंदगी में कोई प्यार से प्यारा नही मिलता, 
जिंदगी में कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
 जो है पास आपके उसको सम्भाल कर रखना, 
क्योंकि एक बार खोकर प्यार दोबारा नही मिलता।
_____________________________________________

सब ने चाहा कि तुम्हे हम ना मिलें हम ने चाहा तुम्हें ग़म ना मिलें अगर ख़ुशी मिलती है तुम्हे हम से जुदा होकर तो दुआ है ख़ुदा से कि तुम्हें कभी हम ना मिलें.
💔💔💔😊😊😊
_____________________________________________

बाँधकर ज़ुबान मेरी कह रहा था वो ज़ालिम...
अब तुम्हे इजाज़त है हाल-ए-दिल सुनाने की.,,
_____________________________________________
पढ़ तो लिया है इनको मगर कैसे फैंक दू खुशबू  तुम्हारे हाथ की इन कागजों में  आज भी है
_____________________________________________

तेरी खुशबू तेरी चाहत से दिल यूँ महरूम रहा,
बनारस रहकर भी कोई जैसे गंगा से दूर रहा.
_____________________________________________

सादगी मशहूर है हमारी, 
खुशमिजाजी भी कमाल है,
हम शरारती भी इंतेहा के है, 
तनहा भी बेमिसाल है।
🙂
_____________________________________________

मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको हमारा ये पैगाम हैं,
_____________________________________________

“वादा-ए-वफ़ा करो तो 
फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए
किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
_____________________________________________

चांदनी रात में तनहा बैठे हो सफ़क कोई बात है क्या
नींद नही आ रही या तुम ख्वाबों से डरते हो क्या
_____________________________________________

वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरतें लाया तो था, 
मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया।
🥀
_____________________________________________
इस क़दर मुन्तजिर हूँ तेरे इंतजार का 
आपने तो एक लफ्ज भी न समझा मेरे प्यार का।
ऐ राज तेरी हरकतें तो आजकल ऐसी है
न तू मेरा होगा न होगा कभी अपने यार का ।।
_____________________________________________
गुज़र गया वो वक़्त 
जब तेरी हसरत थी मुझको, 
अब तू खुदा भी बन जाए 
तो भी तेरा सजदा ना करू।
_____________________________________________
बदनसीबी देखो मुझे उसका दीदार नसीब ना हुआ
मंदिर, मस्जिद, दरगाह कहां कहां घूम लिया होगा
जब गुजरा उसकी गली से तो कांच के टुकड़े पड़े थे
शायद उसने देखकर खुद को आइना चूम लिया होगा।
_____________________________________________

समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से,
 अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। 
💔
_____________________________________________

तराशे गये किसी वचन की तरह।
मोहब्बत करी हमने फ़न की तरह।।

मिट जाते थे गिले शिकवे मिलते ही-
वो थी गंगा के आचमन की तरह।।

थकन को क्या खूब सुकून देती थी-
सोफ़े पर रखे हुए कुशन की तरह।
_____________________________________________

कुछ अनकहे लफ़्ज़ों को कुचलकर निकलती हैं,
ये दूरियां भी रोज कातिल बनकर निकलती हैं।

Post a Comment

0 Comments