kanha kamboj shayari | कान्हा कंबोज शायरी
माना कि हम अदब से बात नहीं करते मगर यह मानो मतलब से बात नहीं करते यह नर्म लहजा, प्यारी बातें तेरे लिए हैं हम इस लहजे में सबसे बात नहीं करते ___________________________
तू हर दफा अपनी चला बस कर मुझे सबसे ज्यादा ये खला बस कर
चीखते रहे तेरा नाम तूने ना सुना फिर चीख उठा मेरा गला बस कर
हम तो जलाते थे तेरे घर में चराग तू हमारा घर तो ना जला बस कर
मैं बुरा, बेहया, बेरहम, बे गैरत और कुछ न कह अब भला बस कर ___________________________
कहते हैं तेरी चाह…
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