Sexy Story in Hindi | सेक्सी स्टोरी | xxx story
मैं नहीं भूल सकती वो वाली रात, जब मौसम खराब था, और मेरी कार भी खराब हो गई थी, दूर दूर तक कोई होटल भी नहीं था रुकने के लिए, थी तो सिर्फ पास में एक छोटी सी झोंपड़ी, मैने बिना कुछ सोचे समझे वहां गई और दरवाजा खटखटाया, एक नौजवान लड़के ने दरवाजा खोला, मैने बोला मेरी कार खराब हो गई है, मौसम भी खराब है, क्या मैं आज रात यहां रुक सकती हूं, मैं काफी भीग चुकी थी बरसात में, मुझे सर्दी भी लग गई थी ।
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बंदा दिल का नेक था उसने कहा जी मैं यहां पर अकेला रहता हूं, मैने एक पल के लिए सोचा लेकिन मेरे पास वहां रुकने के सिवा कोई रास्ता नहीं था, मैं अंदर गई, उनसे मुझे बाथरूम दिखाया, और अपनी पैंट शर्ट तो दे दी चेंज करने के लिए, मगर मैं ब्रा, और पेंटी कहां से लाती, क्यूंकि मेरी पहनी हुईं तो भीग चुकी थी, मैं बाथरूम में चली गई चेंज करने के लिए, बाहर आई, तब तक उसने चाय बनाकर रखी थी, मुझे उसका ये बर्ताव काफी अच्छा लगा, मैने चाय ली, हमने चाय पाते पीते एक दूसरे को जानना शुरू किया ।
रात के एक बज चुके थे, मौसम अभी भी खराब था, बिजली भी कट थी, और इनवर्टर भी नहीं था झोंपड़ी में, और मुझे अंधेरे में अकेले नींद भी नहीं आती थी, फिर क्या मैने उसको अपनी प्रॉब्लम बताई, उसने कहा ठीक है मैं यही आपके पास इसी कमरे में सो जाऊंगा। अब मसला ये एक बिस्तर, और एक ही रजाई थी उसके पास, और ये दिसंबर की ठंडी रात, और साथ में खराब मौसम, ऊपर से ये मुझे लगी हुई सर्दी, हमने कुछ देर और बात की, इसके बाद उसे नींद सताने लगी। उसने कहां चलिए सोने चलते है। मेरा मन नहीं मान रहा था उसके साथ में सोने के लिए लेकिन मैं क्या करती और कोई रास्ता नहीं था, हम दोनों बिस्तर पर लेट गए, हमारे बीच में एक हाथ का गैप था,। मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं बस इंतजार कर रही थी सुबह होने का, 2: 30 बज गए थे मुझे ठंड लग रही थी, और वो बंदा आराम से सो रहा था रजाई में। मैने उसको उठाया, जी मुझे ठंड लग रही है, रजाई मिल सकती है, उसने कहा रजाई तो एक ही है मेरे पास एक काम करे इसे आप ओढ ले, वरना आपको और ज्यादा सर्दी लग जाएगी । मुझे अपनी रजाई देकर वो बंदा फिर से सो गया ।
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अब मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही थी, पर मुझे नींद फिर भी नहीं आ रही थी, मैं खुली आंखों से उस लड़के को देख रही थी, वो लड़का सिकुड़ा हुआ, सो रहा था, सिर्फ मेरी वजह से, मुझसे ये देखा नहीं गया, मैं उसके करीब आ गई और अपनी रजाई को आधा उसके ऊपर डाल दिया, जैसे ही मैं उसके पास आई और उसे रजाई ओढ़ाई, उस लड़के ने मुझसे चिपकना शुरू कर दिया, वो मेरे एक दम चिपका गया, शायद बिना रजाई के उसको भी ठंड लग रही थी, मुझे ये अच्छा नहीं लगा पर वो नींद में था, उसने मेरे लिए इतना कुछ किया, इसलिए मैने उसको कुछ भी नहीं कहा, मुझे एभी भी नींद नहीं आ रही थी मैं बस उसे देखे जा रही थी, कहीं ना कहीं वो मुझे अच्छा लग रहा था शायद।
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रात के तीन बज गए थे मुझे प्यास लगी थी, मैं पानी देखने गई लेकिन अंधेरा होने की वजह से गिलास गिर गया, अचानक से लड़के की आंख खुली, वो आया मेरे पास, मैने बोला वो मुझे प्यास लगी थी, अंधेरे में दिखाई नहीं दिया, लड़के ने कहां आप बैठिए मैं पानी लाता हूं, लड़का हलका गुनगुना पानी करकर आया मेरे लिए । मुझे बहुत अच्छा लगा, अब शायद उसको भी नींद नई आ रही थी । वो मुझे देख रहा था, मैं उसे देख रही थी । शायद ये हम दोनों को एक करने वाली रात थी । कोई नहीं था दूर दूर तक, चारों तरफ खामोशी और सन्नाटा, वो अचानक से मेरे पास आया मेरे बालों में अपनी उंगलियां फेरने लगा ।
उसका चेहरा इतना करीब था कि मैं उसकी साँसों की गर्माहट महसूस कर सकती थी। अचानक उसकी उँगलियाँ मेरी कमर को छूने लगी । उस हल्के स्पर्श ने मुझे भीतर तक सिहरन से भर दिया।
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उसकी उंगलियाँ मेरी कमर पर आकर ठहर गईं और फिर धीरे-धीरे सरकते हुए टांगों के बीच तक पहुँच गईं। उस स्पर्श ने जैसे मेरी साँसों को रोक दिया हो। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कह पाई, बस उसकी बाँहों में सिमटती चली गई।
वो मेरे बेहद करीब आया और मेरे होठों को अपने होंठों से ऐसे चूमने लगा मानो जैसे कि वो बहुत जन्मों का प्यासा हो । उस पल ऐसा लगा मानो पूरी दुनिया थम गई हो। एक-एक करके उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। मैंने हल्की-सी कोशिश की उसे रोकने की, मगर उसने मेरा हाथ पकड़ कर किनारे कर दिया और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे हाथों को सिरहाने से बाँध दिया। अब मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी—और सच कहूँ तो मैं कुछ करना भी नहीं चाहती थी। उसकी हर हरकत मुझे भीतर तक सिहरन दे रही थी।
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अब हम दोनों के वस्त्र कहीं गुम हो चुके थे। हमारे बदन को पसीने की गरम चादर ने ढक लिया था। मैं बिस्तर पर लेटी थी और वो मेरे हर एक अंग को चूम रहा था। होठों से शुरुआत करके धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा। तभी मेरे सीने ने उसे रोक लिया।
कई देर तक वो वहीं ठहर गया। उसके होंठ और उंगलियाँ मेरी छाती को सहलाते और मसलते रहे। हर स्पर्श के साथ मेरा शरीर और भी बेचैन होता गया। मेरी साँसें बेकाबू थीं और उसकी आँखों में ऐसी गहराई थी जिसमें मैं खोती चली गई।
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उसका हर चुंबन, हर छुअन मेरे भीतर एक नई लहर पैदा कर रहा था। मैं उसकी बाँहों में बंधी थी और चाहकर भी खुद को उससे अलग नहीं करना चाहती थी। उस रात, हमने वो सब किया जो शायद हमे नहीं करना चाहिए था । अब मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही थी, सुबह के 5 बज चुके थे हम दोनों रजाई में बिना कपड़ों के एक दूसरे को देख रहे थे, सुबह हुई वो फिर से चाय बनाकर लाया, हम दोनों नी चाय पिय। उसने mujhse मेरे नंबर लिए, मेरी कार को ठीक करने के लिए मैकेनिक को लेके आया । उसके बाद मैं अपने घर से चली गई, लेकिन हमारी मुलाकात अब रोज होने लगी ।
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